- Pure Brass. Reversible pendant. One side complete Namokar-Navkar Mantra. Other side, Jain prateek Chinha.
- Premium quality Brass, with Fade resistant Anti Tanrish Antique Silver plating. Handmade in Jaipur, by Jain craftsmen.
- Coin shape design. Diameter: 3.50 cms. Thickness 3.25mm. Comes with compatible and matching chains.
- Unisex pendant, fit for all Jain sects (Digambers/ shwetambers) etc.
- A pendant to proudly flaunt your Jain community lineage. A pendant for all Jain religeous functions, gatherings, Panch-Kalyanaks, Muni pravachans, travelling, work, college etc.
- SACRED DESIGN: Double-sided Jain pendant featuring Namokar Mantra in Hindi script on front and Jain community symbol (pratik chinha) on reverse, perfect for spiritual wear
- PREMIUM MATERIAL: Crafted from Skin safe Anti Allergy high-quality brass. Namokar
- VERSATILE SIZE: Medallion-shaped pendant measures 3.50 centimetres in diameter, making it suitable for daily wear
- COMPLETE SET: Comes with ready-to-wear chain, allowing immediate use as a meaningful spiritual accessory
- The Navakar Mantra, is a sacred Jain prayer that honors enlightened beings and spiritual guides, without invoking any deity. Structure & Meaning: 1."Namo Arihantanam" – Salutations to **Arihants**, enlightened beings who have conquered inner passions. 2."Namo Siddhanam" – Homage to **Siddhas**, perfected souls beyond the cycle of birth and death. 3."Namo Ayariyanam" – Respect for *Acharyas*, spiritual leaders guiding Jain followers. 4."Namo Uvajjhayanam"– Reverence for *Upadhyayas*, scholars who impart Jain teachings. 5. "Namo Loye Savva Sahunam" – Honor for *Saints and Sages* of all religions, recognizing universal wisdom. This mantra inspires virtue and spiritual liberation
आध्यात्मिकता की अद्वितीय सुंदरता का अनुभव करें इस रिवर्सिबल जैन पेंडेंट में, जिसे पीतल से अत्यंत बारीकी से निर्मित किया गया है और भव्य स्वर्ण चढ़ाई के साथ सजाया गया है। 3.50 सेंटीमीटर व्यास वाले इस पदक-शैली के पेंडेंट के एक ओर हिंदी लिपि में पवित्र नमोकार मंत्र अंकित है, जबकि दूसरी ओर जैन समुदाय के प्रतीक चिन्ह की सार्थक उपस्थिति है।
यह बहुपयोगी आभूषण एक समान धातु की चेन के साथ आता है, जिसे तुरंत पहना जा सकता है। इसकी ठोस और मजबूत बनावट इसे टिकाऊ बनाती है, साथ ही इसकी आध्यात्मिक गरिमा को बनाए रखती है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक उपयुक्त आध्यात्मिक आभूषण है, जो पहनने वाले को जैन शिक्षाओं और सिद्धांतों से जोड़ता है।
इस पेंडेंट की खुदाई में अद्वितीय बारीकियों को दर्शाया गया है, जिससे यह दैनिक पहनावे या विशेष अवसरों के लिए आदर्श बन जाता है। इसकी स्वर्ण-चढ़ाई समाप्ति इसे शिष्टता प्रदान करती है और इसके आध्यात्मिक महत्त्व को बनाए रखती है।
**नमोकार मंत्र** (जिसे नवकार मंत्र भी कहा जाता है) जैन धर्म के सभी संप्रदायों में अत्यंत पवित्र प्रार्थना मानी जाती है। यह एक सार्वभौमिक मंत्र है जो किसी विशिष्ट देवता का आह्वान नहीं करता, बल्कि ज्ञान प्राप्त महापुरुषों और आध्यात्मिक शिक्षकों को नमन करता है।
### **मंत्र का अर्थ और संरचना**
यह मंत्र पाँच भागों से मिलकर बना है, जो विभिन्न आध्यात्मिक विभूतियों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं:
1. **नमो अरिहंताणं** – अरिहंतों को नमन, जो अपनी आंतरिक वासनाओं पर विजय प्राप्त कर मोक्ष को प्राप्त कर चुके हैं।
2. **नमो सिद्धाणं** – सिद्धों को नमन, जो पूर्णता प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो गए हैं।
3. **नमो आयरियाणं** – आचार्यों को नमन, जो जैन अनुयायियों को धर्म के मार्ग पर मार्गदर्शन करते हैं।
4. **नमो उवज्जायाणं** – उपाध्यायों को नमन, जो जैन ग्रंथों का ज्ञान प्रदान करते हैं।
5. **नमो लोए सव्व साहूणं** – सभी संतों और साधुओं को नमन, जो समस्त आध्यात्मिक विभूतियों की अंतर्संबद्धता को दर्शाते हैं।
यह मंत्र भौतिक इच्छाओं की पूर्ति का अनुरोध नहीं करता, बल्कि मोक्ष प्राप्ति के गुणों को स्मरण कराता है। जैन अनुयायियों के लिए यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधन है, जो उन्हें अपने मन को केंद्रित करने और जैन सिद्धांतों के प्रति गहराई से जुड़ने में सहायता करता है।
### **जैन प्रतीक चिह्न**
जैन प्रतीक चिह्न (जैन प्रतीक चिन्ह) जैन धर्म के मूल सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें अहिंसा, सत्य और आध्यात्मिक मुक्ति शामिल हैं।
**प्रमुख तत्व एवं उनके अर्थ**
1. **स्वस्तिक** – चार अस्तित्व अवस्थाओं का प्रतीक: देवता, मानव, नारकीय प्राणी और तिर्यंच (पशु, पौधे आदि)।
2. **तीन बिंदु** – जैन धर्म के तीन रत्नों का प्रतीक: सम्यक दर्शन (सत्य श्रद्धा), सम्यक ज्ञान (सत्य ज्ञान), और सम्यक चरित्र (सत्य आचरण)।
3. **हाथ और चक्र (अहिंसा प्रतीक)** – उठा हुआ हाथ "रुकें" का संकेत देता है, अहिंसा के अभ्यास की याद दिलाता है। चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है, जो अनुयायियों को धार्मिकता की ओर मार्गदर्शन करता है।
4. **चंद्राकार और बिंदु** – सिद्धशिला का प्रतिनिधित्व करता है, वह स्थान जहाँ मोक्ष प्राप्त आत्माएँ निवास करती हैं।
5. **विश्व की रूपरेखा** – इस प्रतीक की संरचना तीन लोकों का चित्रण करती है: अधोलोक (नरक), मध्यलोक (पृथ्वी), और उच्चलोक (स्वर्ग)।
इस प्रतीक को सभी जैन संप्रदायों ने 1975 में आधिकारिक रूप से अपनाया, ताकि जैन पहचान और शिक्षाओं को एकरूपता प्रदान की जा सके। यह जैन मूल्यों और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का आध्यात्मिक स्मरण कराता है।